मेरा नाम राज कौशिक है। मैं चोदोचुदो डॉट कॉम की कहानियाँ लगभग एक साल से पढ़ रहा हूँ। इनमें कुछ सच्ची लगती है तो कुछ झूठी। खैर, जैसी भी हो, मजेदार होती हैं।
अब मैं अपनी एक सच्ची कहानी आप सबके सामने भेज रहा हूँ।
कहानी से पहले अपने बारे मैं बताता हूँ। उम्र 22 साल, कद 5'8" रंग साफ है मुझे कम बोलना पसन्द है और मैं बी एस सी फाइनल मैं हूँ।
कहानी तब की है जब मैं बारहवीं में पढ़ता था, मैं लड़कियों की तरफ ध्यान नहीं देता था सिर्फ पढ़ाई में लगा रहता था। कक्षा में पढ़ने में सबसे आगे था, लड़कियाँ मुझसे बातें करना चाहती पर मैं चुप लगा जाता। मैं अपने गाँव से पड़ोस के गाँव में पढ़ने साईकल से जाता था। एक लड़की लक्ष्मी उसी गाँव के दूसरे स्कूल में जाती थी। उसका नाम दोस्तों से पता चला था। स्कूल का समय एक होने के कारण वो मुझे रोजाना रास्ते में मिलती थी, देखने में सुन्दर थी, रंग गोरा, लम्बाई 5.5" 33,28,34 उसका फिगर था।
सारे लड़के उसे चोदने की सोचते पर वो किसी की तरफ देखती भी नहीं थी। मेरे सारे दोस्त उसे प्रपोज कर चुके थे।
एक दिन वो रास्ते में खड़ी थी। उसने मुझे रोका और बोली- राज मेरी साईकल खराब हो गई है प्लीज मुझे स्कूल तक छोड़ दो।
मैं यह सोचकर हैरान था कि वो मेरा नाम कैसे जानती है। लेकिन मैंने हाँ कर दी। उन्होंने खेतों में घर बना रखा था जो बिल्कुल हमारे खेतों के पास था। उसने साईकल पड़ोस में खडी कर दी और मेरे पीछे बैठ गई और हम चल दिये।
काफी देर तक हम दोनों चुप रहे, फिर वो बोली- पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं बोला- ठीक !
मैंने पूछा- तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?
तो वो बोली- मनीषा ने बताया, वो मेरी सहेली है।
मनीषा मेरे साथ पढ़ती थी।
वो बोली- तुम अपनी कक्षा की लड़कियों से बात क्यों नहीं करते?
मैंने उसकी बात का जबाब दिये बिना कहा- मेरे बारे में इतनी जानकारी रखने का क्या मतलब है ?
उसने कहा- मैं तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानती हूँ !
और हँसने लगी।
उसका स्कूल आ गया। छुट्टी होने पर भी मैंने उसे घर छोड़ा। हम रोज एक दूसरे से बात करने लगे। बातों ही बातों में पता नहीं मैं कब उसे प्यार करने लगा। जिस दिन सुबह लक्ष्मी नहीं मिलती सारे दिन दिल नहीं लगता। लेकिन उससे कहने से डरता था कि वो बुरा न मान जाये।
एक दिन हम छुट्टी होने पर घर आ रहे थे तो बारिश होने लगी। हम दोनों भीग गये। मैंने उसे गन्दी नजर से कभी नहीं देखा था। लेकिन उस दिन उसने सफेद कपड़े पहन रखे थे जो भीगने पर उसके शरीर पर चिपक गये और उसका सारा शरीर दिख रहा था। उसने काले रंग की ब्रा और पैन्टी पह्नी थी, क्या कयामत लग रही थी !
न चाहते हुए भी मेरी नजर उससे नहीं हट रही थी। उसकी चूचियों और गाण्ड को देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
बारिश के साथ हवा भी चलने लगी जिससे साईकल आगे ही नहीं बढ़ रही थी। वो सड़क के पास बने एक कमर की तरफ इशारा करके बोली- यहाँ रुकते हैं।
मैंने हाँ कर दी।
हम वहाँ रुक गये। वो थोड़ा बाहर होकर बारिश में भीगने लगी। मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी गाण्ड को देख रहा था। मेरा लण्ड टाईट पैन्ट में दबने से दर्द कर रहा था। मन कर रहा था कि लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड में दे दूँ।
अचानक तेज बिजली होने से लक्ष्मी घबरा कर पीछे को हटी तो उसकी गाण्ड मेरे लण्ड से आ लगी। उसने मुड़कर देखा मेरा लण्ड पैन्ट फाड़ने को तैयार था। मेरी नजर उसकी चूचियों पर थी, जी कर रहा था कि उसकी चूचियों को पकड़ कर भींच दूँ। पर मैं मजबूर था।
लक्ष्मी ने मेरी नजर पहचान ली और अपनी चूचियों को चुन्ऩी से ढक लिया और नजर झुकाकर खड़ी हो गई।
मैं अब भी ना चाहते हुए उसकी चूचियाँ और गाण्ड देख रहा था।
वो बोली- चलो, पैदल घर चलते हैं।
मैं हिम्मत करके बोला- मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
वो बोली- बोलो !
मेरी गाण्ड फट रही थी।
बोलो !
बोलो ना !
कुछ नहीं !
कुछ तो है ?
बोलो ना प्लीज !
तुम बुरा मान जाओगी !
अरे, नहीं मानूंगी। तुम बोलो तो सही !
मेरी कसम खाओ !
चलो ठीक है खा ली ! अब बोलो भी !
लक्ष्मी !
आ.... आई लव यू !
मैंने एक साँस में कह दिया।
वो सुनकर चुप हो गई। थोड़ी देर दोनों चुप खड़े रहे।
मैं बोला- डू यू लव मी?
वो नजरें झुका कर चुप खड़ी रही।
मैं बोला- हो गई न तुम नाराज?
उसने सिर हिला कर मना कर दिया।
फिर बोलो न यू लव मी !
वो चुप खड़ी रही।
मेरा लण्ड भी शान्त हो गया। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया- बोलो न ! लक्ष्मी प्लीज बोलो न ! यू लव मी ओर नॉट ?
वो नजरें झुकाकर खड़ी रही। मैंने उसके चहरे को ऊपर किया और उसके गाल पर चूम लिया।
वो पीछे हट गई।
मैं कहा- आई लव यू वैरी मच !
और उसे बाहों में ले लिया। उसकी चूचियां मेरे सीने से लगी थी, उसके होठों के पास होंठ ले जाकर बोला- आई लव यू ! और उसके होठों को चूम लिया।
मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और उसकी चूत के ऊपर चुभने लगा। वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी मगर मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठ अपने होठों में लेकर चूमने लगा।
थोड़ी देर तक वो छुटने की कोशिश करती रही, फिर चुप खड़ी हो गई। वो भी चुम्बन में मेरा साथ देने लगी। मैं अपने हाथ उसकी कमर पर फिराने लगा। अब उसने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था। फिर मैं उसकी गर्दन पर चूमने लगा। वो आहें भरने लगी। उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरे हाथ उसकी कमर और चूतड़ों पर घूम रहे थे।
मैंने उसे थोड़ा अलग किया और उसकी चूचियों पर हाथ रख दिये।
क्या स्तन थे उसके ! एक दम कसे-तने हुए !
मैंने उन्हें थोड़ा दबाया तो उसने साँस रोक ली और आँखें बन्द कर ली।
मैं चूचियों को दबाते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा, वो भी मुझे गाल और गर्दन पर चूमने लगी।
फिर मैंने अपने हाथ पीछे से सूट के अन्दर डाल दिये। वो मेरे से बिल्कुल चिपक गई, हम एक दूसरे को चूम रहे थे, बारिश में भीगगने पर भी दोनों के शरीर गर्म हो गये। मैं लक्ष्मी के पीछे आ गया सूट के अन्दर हाथ डालकर पेट को सहलाने लगा और ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबा रहा था। वो सिसकारने लगी। एक हाथ से मैं उसकी चूची दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी जांघ पर फिराना शुरु कर दिया। फिर हथेली उसकी चूत पर रख दी और उभरे हुए भाग को रगड़ने लगा।
वो बिल्कुल पागल हो रही थी। उसने सांस रोकी हुई थी जिससे उसका पेट टाईट और अन्दर को था और सलवार ढीली हो गई थी। मैं उसके पीछे खड़ा था जिससे मेरा लण्ड उसके मोटे-मोटे चूतड़ों के बीच गाण्ड से लगा हुआ था, एक हाथ से चूचियों और दूसरे हाथ से चूत को रगड़ रहा था।
फिर मैंने हाथ उसकी सलवार में अन्दर डाल दिया। मेरा हाथ सीधा ही उसकी पैन्टी के अन्दर चला गया। उसकी चूत पर थोड़े बाल थे। जैसे ही मैंने चूत को छुआ, वो एक दम सिहर गई और उसके मुँह से सी की आवाज निकली। उसकी चूत गीली हो गई थी मैं उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच उंगली रगड़ने लगा। उसका बुरा हाल हो रहा था आँख बन्द करके चुप खड़ी थी और सिसकियाँ ले रही थी। उसका चेहरा लाल हो गया जिससे वो और भी सुन्दर लगने लगी थी।
मैंने अपनी पैन्ट की चैन खोली और 7-8 इन्च का लण्ड को बाहर निकाला जो काफी देर से बाहर आने को बेचैन था। बाहर निकलते ही मेरा लण्ड साँप की तरहा फुंकारने लगा। लक्ष्मी को नहीं पता था कि मैं उसके पीछे क्या कर रहा हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और पीछे को लाया और लण्ड पर रख दिया।
अचानक जैसे वो सोकर जागी, उसने मुझे पीछे को धक्का दिया और बाहर भाग गई।
पीछे मुड़ कर देखा, मुस्कुरा कर बाय की और साईकल उठाकर चली गई। मेरा लण्ड फनफनाता रह गया।
एक बार तो मुझे गुस्सा आया, पर मैं कर भी क्या सकता था। आज चूत मिलते मिलते रह गई। मैंने मुठ मारी और घर को चल दिया।
वो अपने घर के बाहर खड़ी थी, मुझे देख कर हँसने लगी।
मेरा खून जल रहा था पर मैं भी हँसता हुआ निकल आया।
मैं बैचेन था। शाम को मैं खेतों पर चला गया। मेरे खेतों पर एक पेड़ था, मैं वहाँ जाकर बैठ गया। मैं जब भी खेतो पर जाता था तो वो मुझ से कहती थी कि उसने मुझे देखा।
यही सोचकर मैं वहाँ बैठा था कि वो मुझे देखकर जरूर आयेगी।
थोड़ा अन्धेरा हो गया पर चाँदनी रात के कारण मुझे उसका घर दिखाई दे रहा था। थोड़ी देर बाद वो आ गई। उसने गुलाबी रंग का कमीज़ और सफेद सलवार पहन रखी थी। चाँदनी रात में उसके गोरे बदन पर गुलाबी कमीज़ में वो बिल्कुल परी की तरह दिख रही थी। कमीज़-सलवार फिटिंग में थे जिससे उसकी चूची और गाण्ड के उभार साफ दिख रहे थे। उसे देखते ही मेरा लण्ड फिर सलामी देने लगा।
मैं उसे देखकर मुस्कुराया।
यहाँ क्यूँ बैठे हो? उसने मुस्कराते हुए पूछा।
उसका मुस्कराना मुझ पर बिजली सी डाल गया- आपका इन्तजार कर रहा था।
तुम्हें क्या पता था कि मैं आऊंगी?
मुझे विश्वास था कि तुम जरूर आओगी।
अच्छा?
हाँ जान !
बोलो, क्यूँ इन्तजार कर रहे थे?
अपनी बात का जबाब जानने के लिए !
कौन सी बात?
डू यू लव मी?
अब भी बोलने की जरुरत है?
तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ।
और मैं मना कर दूँ तो?
आपकी मर्जी ! मैं थोड़े रुखे स्वर में बोला।
जानू, ऐसा हो सकता है कि मैं मना कर दूँ? आई लव यू ! आई लव यू वैरी मच ! मैं तुम्हें पहले से ही चाहती हूँ, पर कहने से डरती थी कि तुम नाराज न हो जाओ।
अच्छा फिर तब हाँ क्यों नहीं की जब मैं पूछ रहा था?
तब तुम मुझे छोड़ते?
मतलब?
कुछ नहीं !
अच्छा तो तुम क्या सोच रही हो कि तुम्हें अब छोड़ दूँगा? और हाथ उसकी तरफ बढ़ाया।
वो पीछे होने लगी तो अचानक गिर पड़ी।
मैंने पूछा- लगी तो नहीं?
वो हँसने लगी। मैं उसके बगल में लेट गया। उसके चहरे से बाल अलग किये और उसके होटों को चूमने लगा। उसने भी मुझे बाहों मे जकड़ लिया।
वो बोली- यहाँ कोई देख लेगा।
मैं खड़ा हुआ और उसे घुटनों और गर्दन से हाथों में उठा एक ज्वार की फसल के बराबर में ले आया और खड़ा कर दिया।
मैंने पूछा- दोपहर को क्यों भाग आई थी?
वो शरमा गई- धत ! तुम गन्दे हो।
मैं बोला- इसमें गन्दा ही क्या ?
उसने कहा- वहाँ कोई देख लेता तो ?
मैंने कहा- ठीक है।
वो बोली- जानू, मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और सिर्फ तुम्हारी हूँ पर !
पर क्या? मैंने पूछा।
पर वो काम मैं करना नहीं चाहती !
मैं बोला- कौन सा काम?
उसे शर्म आ रही थी- वो तुम जानते हो कि मैं क्या कहना चाहती हूँ।
मैं नहीं जानता।
वो सेक्स नहीं करना चाहती।
शर्म से उसका चेहरा लाल हो रहा था उसने मुँह नीचे कर लिया।
मैं बोला- कहती हो कि मेरी हो तो फिर मना क्यों?
वो बोली- मेरी सहेली कहती है कि लड़के सिर्फ इसी काम के लिए लड़कियों को पटाते हैं।
मैं बोला- प्यार करते हैं तो सेक्स में क्या बुराई है? हमारी उम्र मौज लेने की है तो लेनी चाहिए।
वो उदास सी हो गई और बोली- ठीक है ! कर लो ! मैं कुछ नहीं कहूँगी।
फिर मैं उसे चूमने लगा और उसकी चूचियों को दबाने लगा। 5-10 मिनट तक ऐसे ही करता रहा लेकिन मुझे वो उदास लग रही थी।
फिर वो बोली- जल्दी कर लो, काफी देर हो गई है।
मैं बोला- क्या?
जो तुम करना चाहते हो ! वो धीरे से बोली, उसकी आवाज में उदासी थी।
मैं उसे नाराज नहीं करना चाहता था क्योंकि मैं उसे दिल से चाहने लगा था।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- लक्ष्मी, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ ! तुम्हारे शरीर से नहीं ! मैं तब तक तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करूंगा तब तक तुम खुद नहीं कहोगी।
मैंने उसके हाथ को चूमा।
वो खुश हो गई जैसे उसे कुछ मिल गया हो- तुम नाराज तो नहीं हो? उसने पूछा।
मैंने मना कर दिया और बोला- जिसमें मेरी जान खुश है उसी में मैं खुश हूँ।
वो बहुत खुश हुई, फिर से पहले की तरह मुस्कराने लगी।
मैंने कहा- अब तुम जाओ, काफी देर हो गई है।
वो बोली- मन तो नहीं कर रहा !
मैं बोला- न जाओ तो अच्छा है।
क्यों? उसने पूछा।
मैं फिर करने लगूँगा।
क्या?
सेक्स !
डरा रहे हो?
हाँ !
मैं नहीं डरूँगी।
अच्छा?
हाँ !
मैंने हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा।
ओ जानू डर गई !
मैं जा रही हूँ, नहीं तो घर से कोई आ जाएगा।
उसने मेरे होटों का चुम्बन लिया और बोली- लव यू जान !
गुड नाईट !
बाय !
फिर वो हँसती हुई चल दी।
मैं भी उसके साथ उस पेड़ तक गया, उसे पकड़ कर एक लम्बा चुम्बन लिया और बाय कहा।
वो चली गई। मैं वहीं खड़ा होकर उसे देख रहा था, मेरा मन कर रहा था कि उसी के साथ बैठा रहूँ। वो घर पहुँच गई और मुड़कर हाथ हिला कर बाय किया, मैंने भी हाथ हिला दिया।
मैं लगभग 30 मिनट वहाँ बैठा उसके बारे में सोचता रहा।
अचानक वो मेरे सामने आकर खड़ी हो गई।
मैं कुछ बोलता, इससे पहले बोली- जानू, घर जाने की सलाह नहीं है?
मैंने कहा- नहीं !
क्यूँ?
पता नहीं ! मन नहीं कर रहा।
तुम क्यों आई?
मैंने देखा कि तुम यहीं बैठे हो तो खुद को आने से रोक ही नहीं पाई। अब घर जाओ ! घरवाले चिन्ता कर रहे होंगे।
या नाराज हो?
मैंने पूछा- नाराज क्यों।
मैंने मना कर दिया?
किसके लिए?
मुझसे बार बार मत कहलवाओ ! मुझे शर्म आती है।
तभी तो शर्म दूर होगी।
अच्छा तो तुम नाराज हो !
मैंने मजाक में हाँ कह दिया।
उसने भी रुठने का चेहरा बना लिया।
मैं बोला- जानू मजाक कर रहा हूँ।
मुझे पता है ! अब जाओ !
नहीं गया तो?
मैं भी नहीं जाऊँगी।
कहते हुए बैठ गई।
तुम नहीं जाओगी?
हाँ ! नहीं जाऊँगी।
यह तो अच्छा है।
जानू जाओ न प्लीज ! अलग सा चेहरा बनाकर बोली।
मुझे उसका चेहरा देखकर हँसी आ गई, मैं बोला- रोओ मत ! जा रहा हूँ !
मैं कहाँ रो रही हूँ?
ठीक है, चलो चलते हैं !
मैंने उसे चूमा और बाय कहकर चला आया।
जानू जाओ न प्लीज ! अलग सा चेहरा बनाकर बोली।
मुझे उसका चेहरा देखकर हँसी आ गई, मैं बोला- रोओ मत ! जा रहा हूँ !
मैं कहाँ रो रही हूँ?
ठीक है, चलो चलते हैं !
मैंने उसे चूमा और बाय कहकर चला आया।
सुबह तैयार होकर स्कूल के लिए निकला। लक्ष्मी मेरा इन्तज़ार कर रही थी। वो भी साथ चलने लगी। बोली- जानू, लव यू !
लव यू टू !
फिर हम बातें करते रहे।
बातों ही बातों में उसने कहा- अगर तुम कल मेरे साथ सेक्स करते तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करती।
हम जब भी मौका मिलता, आपस में मिलते और घण्टों तक एक दूसरे से लिपटे बातें करते रहते। मैं बस उसे चूमता और चूचियाँ ही दबाता था।
ऐसे ही एक साल निकल गया। मेरे इम्तिहान हो गये। बोर्ड परीक्षा में मैं प्रथम आया। इसलिए मुझे बाईक और मोबाईल मिल गया। मैंने सबसे पहले अपना नम्बर उसे ही दिया।
फिर मैं कालेज में आ गया। कई बार उसे घूमाने भी ले गया। यों ही दिन गुजरते गये। मैं बहुत खुश था। एक दिन लक्ष्मी का फोन आया, बोली- मुझे तुमसे बात करनी है !
मैं बोला- बोलो !
नहीं फोन पर नहीं !
तो?
तुम रात को 10.30 बजे आ जाना।
मैंने कहा- इतनी देर से क्यों?
हम ज्यादातर 7-8 बजे मिलते थे।
वो बोली- बस तुम्हें आना है।
मुझे बेचैनी सी हो रही थी, इसलिए मैं 10 बजे ही खेत पर उस बैरनी के पेड के नीचे जा बैठा। मैं घरवालों से अलग सोता था इसलिए रात को निकलने में कोई परेशानी नहीं होती थी।सर्दियों के दिन थे, मैंने जीन्स की पैन्ट, शर्ट और जैकेट पहन रखे थे, फिर भी ठण्ड महसूस हो रही थी।
मैं वहाँ बैठा उसका इन्तजार कर रहा था। एक एक पल मुझ पर भारी पड़ रहा था।
चाँदनी रात थी पर थोड़ी धुन्ध होने के कारण उसका घर दिखाई नहीं दे रहा था। बीच में मैं उसके घर तक घूम आया था। सब लोग शायद सो चुके थे।
लगभग 11 बजे लक्ष्मी आ गई। उसे देखकर मैंने चैन की साँस ली। उसने काले रंग का कमीज़-सलवार और ऊपर शॉल ओढ़ रखी थी।
मैं उसे देखकर मुस्कराया, वो भी मुस्कराई और लव यू जान ! कहकर मेरे आगे पीठ करके बैठ गई। वो उदास लग रही थी।
मैंने कहा- हाँ बोलो जान ! क्या बात है?
वो बोली- कुछ नहीं ! मिलने का मन कर रहा था।
मैंने कहा- इतनी रात को?
कोई बात तो है ! मैंने कहा।नहीं कुछ नहीं है !
मैंने कहा- ठीक है, नाराज क्यों होती हो?
मैं बोला- मुझे ठण्ड लग रही है !
उसने अपनी शॉल मुझे दे दी।
मैं खेत की मेढ़ पर बैठा था, वो मेरे आगे पीठ करके नीचे बैठी थी।
मैंने शॉल अपने और उसके ऊपर डाल ली। वो चुप बैठी थी मैं पीछे से बगल में हाथ डालकर उसकी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा और गर्दन पर चूमने लगा।
वो चुप थी !
मैं बोला- बोलो न जानू, क्या बात है ? तुम उदास क्यों हो?
वो बोली- घर वालों से झगडा हो गया आज।
बस इतनी बात पर नाराज हो?
हाँ !
वो जिद्दी थी, मैंने सोचा किसी जिद के कारण झगड़ा हो गया होगा।
मैं बोला- घर वालों की बात का बुरा नहीं मानते !
उसके मुँह को अपनी ओर किया और मैं होटों पर चूमने लगा।
वो बोली- जानू, यहाँ ठण्ड लग रही है, कहीं और चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है !
हम खड़े हुए और टयूबवैल के कमरे के पास आ गये। चाबी मैं साथ लाया था। वहाँ जाकर देखा तो पहले ही कोई सोया था मैं लक्ष्मी को एक तरफ़ करके अन्दर गया और धीरे से रजाई उठाई। मेरे ताऊ का लडका था, उसे हमारे बारे में पता था।
मैंने उसे जगाया।
वो बोला- तुम यहाँ?
मैंने लक्ष्मी को अन्दर बुलाया। वो देखकर समझ गया और बिना कुछ बोले उठ कर चला गया।
मैंने अन्दर से दरवाज़ा बन्द किया और रजाई में लेट गया। लक्ष्मी ने शॉल हटाई तो मैं उसे देखता ही रह गया। गोरे बदन पर काला सूट।
क्या देख रहे हो?
तुम्हें !
क्यों, पहले कभी नहीं देखा?
देखा है ! पर आज तो तुम बहुत सेक्सी लग रही हो।
अच्छा ? तुम्हें आज दिखाती हूँ कि मैं कितनी सेक्सी हूँ।
हम हर तरह की बात करते थे इसलिए अब शर्म का नाम नहीं था।
वो मेरे बगल में आकर लेट गई।
मैं बोला- बताओ, कितनी सेक्सी हो?
वो बोली- पहले यह बताओ कि मुझसे शादी करोगे?
यह सुनकर मैं चुप हो गया। शादी तो मैं उससे कर लेता पर यह हो नहीं सकता था। यह बात वो भी जानती थी।
फिर बोली- चलो छोड़ो ! मैंने तो तुम्हें अपना पति मान ही रखा है।
और मेरे होटों को चूम लिया, बोली- राज, आज तुम कुछ भी कर सकते हो ! मैं तैयार हूँ।
मैं उसके मुँह की तरफ देखने लगा।
वो बोली- क्या तुम मुझे अपनी नहीं मानते?
मानता हूँ। पर अचानक तुम्हें क्या हुआ?
मुझे कुछ नहीं हुआ ! अब पने पर काबू नहीं होता ! बस ! और एक दिन तो यह सब करना ही है तो फिर देर क्यूँ?
वो उदास थी पर मुझे दिखाने के लिए वो हँस रही थी।
मैं बोला- तो तुम ही दिखाओ कि कितनी सेक्सी हो।
वो बोली- ठीक है !
और मेरे होटो को फ़िर चूमने लगी। मैं भी उसका साथ दे रहा था, मेरा एक हाथ उसकी चूचियों को दबा रहा था और दूसरा उसकी कमर के नीचे था। मेरा एक पैर उसके पैरों के बीच में था जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत पर लगा हुआ था।
वो लगातार चूम रही थी। मैं अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल कर ब्रा के ऊपर से चूचियों को मसलने लगा।
उसने मुँह अलग किया, बोली- धीरे-धीरे दबाओ ! दर्द होता है !
मैं बोला- कहते हैं कि दर्द में ही मजा है।
हम हँसने लगे।
चूची के अगले भाग को पकड़ कर मसल दिया तो वो सिसिया उठी- आ अ !
मैंने उसके होटों पर होंट रख दिये और बारी बारी से दोनों चूचियों को मसलने लगा।
फिर अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया और रगड़ने लगा। वो पूरी गर्म हो गई।
मैंने रजाई हटाकर उसे बिठा लिया और उसकी कमीज़ उतारने लगा।
उसने रोका- मुझे शर्म आएगी !
मैंने कहा- पति से कैसी शर्म ?
और कमीज़ उतार दिया।
काले रंग की ब्रा में गोरी चूचियों को देखकर मैं पागल हो गया और जल्दी से उसकी ब्रा भी अलग कर दी। एकदम खड़ी थी उसकी चूचियाँ और मेरे रगड़ने से लाल हो गई थी। उसने अपना मुँह ढक लिया। मैंने एक चूची को दबाया और दूसरी को मुँह में लेकर चूसने लगा तो वो पागल सी हो गई, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसा।आज बड़ा जोश आ रहा है?
मैं बोला- तुमने इतने दिन जो तड़पाया है !
अच्छा तो बदला ले रहे हो?
हाँ !
और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा।