14th फेब….. वॅलिंटाइन डे- आ डे ऑफ लवर्स…..
रीतिका: तुम क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हो? क्या चाहते हो…. प्लीज़ लीव मे…
जॉन: देखो मुझे बस मेरे सवाल का जवाब दे दो….
रीतिका: अगर इस बार तुमने मुझसे एक वर्ड ओर कहा तो देख लेना मैं इस स्विम्मिंग पूल मे कूद जाऊंगी, ओर मुझे तैरना भी नही आता….अब अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम्हारा क्या होगा ये तुम खुद सोच लो…
जॉन: प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझो…. मैं ऐसा नही हूँ जैसा तुम समझ रही हो……. रीईईईटत्त्तत्त…………जॉन ओर कुछ बोल पता उससे पहले रीतिका जंप कर चुकी थी…..
चहाआअप्प्प्प्पााअक्ककककक की आवाज़ के साथ रीतिका उस गहरे स्विम्मिंग पूल मे अपने सर को बार बार उपर लाकर साँस लेने की कोशिश कर रही थी….
जॉन के दिमाग़ ने जैसे काम करना बंद कर दिया ओर अगले ही पल वो भी स्विम्मिंग पूल के गहरे पानी मे अपने हाथ पैरों को इधर उधर चला रहा था…. उसे अपने चिंता ज़रा भी नही थी,
चिंता थी तो बस रीतिका की…. वो जैसे तैसे रीतिका के पास पहुँचा ओर खुद नीचे पानी मे डूबते हुए उसके पैरों को पकड़ कर उसे उपर उठाने लगा…… उसके लंग्ज़ के अंदर ऑक्सिजन धीरे धीरे कम होने लगी…..
उसकी आँखों के सामने अंधेरा बढ़ने लगा लेकिन अपनी आखरी सांस तक वो रीतिका को उपर उठाता रहा…. ऐसा लग रहा था की जैसे वो अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा अपने से काट कर रीतिका की जिंदगी मे जोड़ देना चाहता हो….
ओर हुआ भी ऐसा ही…. जॉन की साँसें उसका साथ छोड़ने लगी उसकी आँखें उबल कर बाहर आ गयी लेकिन वो एक बार भी सांस लेने के लिए उपर नही आया
वो जनता था की अगर उसे उपर हवा मे आना पड़े तो उसके लिए उसे रीतिका को छोड़ना होगा जो उसे बिल्कुल भी मंजूर नही था…..
आख़िर कब तक उसकी सांस उसका साथ दे पाती ओर अचानक से ढेर सारा पानी उसके मूह से होता हुआ उसके पेट मे ओर उसके लंग्ज़ मे भर गया ओर जॉन की आँखें बंद हो गयी……….
रीतिका की बॉडी को जो सपोर्ट नीचे से मिल रहा था वो मिलना बंद हो गया ओर उसके पैरों पर जॉन की पकड़ भी ढीली होने लगी…..
रीतिका ने एक गहरी सांस ली ओर पानी मे नीचे जाते हुए जॉन की निर्जीव (अनकॉन्षियस) बॉडी को अपने हाथों मे भरा ओर उपर ले आई ओर उसे स्विम्मिंग पूल से बाहर लाकर
उसके पेट से पानी निकलते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर अपने मूह से उसके सिने मे अपने साँसे भरने लगी………..
ये सब करते हुए उसकी आँखों मे गुज़रा हुआ पिछला एक हफ़्ता घूमने लगा जैसे की मोविए उसके सामने शुरू हो गयी हो……
एक हफ्ते पहले……..
प्लेस: बाय्स हॉस्टिल टाइम: 6:15 (लगभग)
नितिन: उठ बे….कब तक सोता रहेगा…..
जॉन(जमहाई लेते हुए): सोने… दे ….. य्ाआरररर…. अभी …… अभी तो नींद आई थी….
नितिन: क्यों बे क्या रात भर उसी इंजिनियरिंग मेकॅनिक्स वाली कोमल मेडम के ख्वाब देखता रहा …
जॉन: शाले बोल तो ऐसे रहा है जैसे खुद कितना बड़ा शरीफ है, मैं अच्छे से जनता हूँ की अगर वो तेरे हाथ लग जाए तो तू उसका मेकॅनिसम ही बदल देगा…. शाला बात करता है…
अंड फॉर युवर काइंड इन्फर्मेशन रात 2 बजे तक जाग कर सारे असाइनमेंट्स कंप्लीट कर लिए है भाई ने…. अब बोल शाले बड़ा प्रवचन दे रहा था…..
अब वही कोमल मेडम जब तेरी इंजिनियरिंग का डिस्क्रिप्षन पूरे बॅच के सामने करेंगी तो देखूँगा की तू कितना बोलता है…
नितिन: भाई तेरे इस भाई ने भी कच्ची गोलियाँ नही खेली है, यूँ ही ना मैं उस रीना को घास डालता हूँ, आज मेरे सारे असाइनमेंट वो ही बना कर ला रही है…. अब बोल कैसी रही…
जॉन: शाले तू तो बड़ा उस्ताद निकला…..मान गये गुरु….
नितिन: शाले मानना बाद मे अब जल्दी से तैयार हो जा वरना सारे असाइनमेंट्स क्लास रूम के बाहर ही चेक कराने पड़ेंगे…..
लगभग डेढ़ घंटे बाद कॉलेज कॅंटीन मे…..
नितिन: देख भाई सारे असाइनमेंट रेडी है अपने तो….
जॉन: अच्छा ठीक है ना….अब ये बता ब्रेकफास्ट मे क्या लेगा?
नितिन: भाई आज पता नही क्यों अंदर से कुछ ख़ुसी की उम्मंगे सी उठ रहै है तो आज कुछ खास हो जाए…
जॉन: ओके आस यू विश…. तू बैठ मैं लता हूँ….
ब्रेकफास्ट करने के बाद दोनो क्लास रूम की तरफ बढ़ते है ओर अंदर जाकर दोनो अपने असाइनमेंट चेक करते है.
कोमल मेडम: जॉन हू प्रिपेर दीज़ असाइनमेंट्स……..ये असाइनमेंट किसने प्रिपेर किए है..
जॉन: वॉट हॅपन मा’आम, इस देर एनितिंग रॉंग? ये मैने खुद लिखे है रात 2 बजे तक जाग कर..
कोमल मेडम: नो नो एवेरितिंग इस फाइन…. आक्च्युयली यू डिड आ गुड जॉब. आइ’म इंप्रेस्ड…
जॉन: थॅंक्स मा’आम….
कोमल मेडम: अंड यू नितिन आप क्या काहगे अपने असाइनमेंट्स के बारे मे…
नितिन: मैने मैने भी खुद ही प्रिपेर किए है…
कोमल मेडम: मुझे तो नही लगता….टेल मे ट्रूथ…
नितिन: आक्च्युयली मा’आम योउ अरे राइट, मेरे हाथ मे मोच आ गयी थी तो ये लिखे मैने नही है बस डिकटेट किए है, ये मैने अपने एक फ्रेंड से लिखवाए है…
वैसे मा’आम यू आर जीनियस… हॅट्स ऑफ टू यू….
कोमल मेडम: ओके ओके अब जयदा बटरिंग मत करो…. अंड जॉन कॅन यू दो मे आ फेवर प्लीज़..
जॉन: वाइ नोट मा’आम…शुवर ई विल डू…
कोमल मेडम: थॅंक्स… आक्च्युयली मेरे पास टाइम नही है ओर मेरी एक स्टूडेंट सिम्मी को ये असाइनमेंट्स समझने है… तो क्या तुम उसकी हेल्प कर दोगे… मैं उसे तुम्हारा नंबर दे दूँगी…..
नितिन: ऑफ कोर्स मा’आम जॉन इस वेरी हेल्पिंग गाइ… ओर अगर ज़रूरत पड़ी तो “मैं हूँ ना…. “
नितिन ने ये बात बड़ी ही स्टाइल मे कही थी जैसे शाहरुख ख़ान को वो ही आक्टिंग कोचैंग देता हो….